माँ बनने के बाद आत्मनिर्भरता की ओर मेरा सफर


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 माँ बनने के बाद आत्मनिर्भरता की ओर मेरा सफर


माँ बनना एक नई ज़िंदगी की शुरुआत होती है — सिर्फ बच्चे के लिए नहीं, माँ के लिए भी। जब मैं माँ बनी, तो मेरी दुनिया अर्जुन के इर्द-गिर्द सिमट गई। उसकी हँसी, उसका रोना, उसकी छोटी-छोटी जरूरतें — सब कुछ मेरी प्राथमिकता बन गया।


लेकिन एक सवाल हमेशा मन में था:

"क्या मैं सिर्फ एक माँ हूं या खुद की भी कोई पहचान है?"


धीरे-धीरे मुझे एहसास हुआ कि मेरी खुशियाँ भी ज़रूरी हैं, मेरा आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता भी। मैंने छोटे-छोटे कदम उठाने शुरू किए — कभी घर से काम करने की कोशिश, कभी कुछ नया सीखना, कभी ऑनलाइन कुछ पढ़ना।


फिर एक दिन मैंने ब्लॉग लिखना सीखा, ब्यूटी वर्कशॉप शुरू करने की सोची, और खुद पर भरोसा करना शुरू किया।


माँ बनने के बाद जो प्यार मिला, उसी ने मुझे ताकत दी कि मैं अपने लिए भी खड़ी हो सकूं।


अब मैं न सिर्फ अर्जुन की माँ हूं, बल्कि एक सशक्त महिला भी हूं — जो दूसरों को भी यही कहती है:

"खुद को मत भूलो, क्योंकि जब माँ मजबूत होती है, तब परिवार भी मजबूत होता है।"


– एक माँ और आत्मनिर्भरता की राह पर चलती नारी





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