"मैं टूटी नहीं हूं… मैं फिर से बन रही हूं – एक माँ की चुप्पी की चीख़"
> जब लोग पूछते हैं — "कैसी हो?"
तो मैं मुस्कुरा देती हूं।
लेकिन कोई ये नहीं पूछता कि "अंदर से कैसा लग रहा है?"
> एक माँ हूं। जिम्मेदारियों के नीचे दबी, सपनों को खुद से पहले पीछे रखती हुई।
कई बार लगता है — "क्या मैं भी कुछ कर सकती हूं?"
और फिर अंदर से एक आवाज़ आती है — "क्यों नहीं?"
> मैं टूटी नहीं हूं... मैं फिर से बन रही हूं।
दुनिया ने जब-जब मुझे कमजोर समझा, मैंने खुद से कहा — "तू चल, बस एक कदम और।"
> कई रातें अकेले रोते हुए गुज़रीं, पर सुबह फिर मुस्कुरा के बेटे को तैयार किया।
लोगों ने कहा — "ये औरत कुछ नहीं कर सकती"
और मैंने कहा — "देख लेना, मैं करके दिखाऊंगी।"
> Blogging मेरे लिए सिर्फ लिखना नहीं है —
ये मेरी आवाज़ है, जो सालों से दबाई जा रही थी।
अब मैं कहती हूं, खुलकर, डर के बिना, शर्म के बिना —
"हाँ, मैं एक अकेली माँ हूं... और मुझे अपने टूटेपन पर शर्म नहीं, गर्व है!"
> ये ब्लॉग उन सभी औरतों के लिए है जो:
डरती हैं बोलने से
थक चुकी हैं चुप रहने से
और अब खुद के लिए जीना चाहती हैं।
> अगर आप मेरी तरह कभी टूटी थीं — तो जान लीजिए, आप भी फिर से बन सकती हैं।
> कमेंट में "Yes I Can" लिखिए अगर आप भी खुद को फिर से बनाना चाहती हैं।
और इस पोस्ट को शेयर कीजिए किसी माँ, बहन, दोस्त के साथ — जिसे ये सुनने की ज़रूरत है।
Bhut badhya vichar or bhut hi sunadr lekhnsheli he aapki aap ak aatmvisvas se bhrpur or hrak muskeli ko aasani se par karnevali mhila ho .....dhanyvad aapki himmt ko or aapki urjatmak post ko
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