"अब शांति खरीदी नहीं जाती – उसे पाना पड़ता है, खुद के भीतर जाकर"
कभी ऐसा लगता है जैसे हर तरफ़ शोर है?
फोन की नोटिफिकेशन, व्हाट्सऐप मैसेज, इंस्टाग्राम की रील्स, और दिमाग में घूमते सवाल — "क्यों बाकी सब खुश लगते हैं और मैं नहीं?"
आज की दुनिया हमें लगातार बताती है कि हमें और तेज़ दौड़ना है, और अच्छा दिखना है, और सफल बनना है। लेकिन इस रेस में हम भूल जाते हैं सबसे ज़रूरी बात —
"मन की शांति"
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क्या है डिजिटल डिटॉक्स?
डिजिटल डिटॉक्स मतलब कुछ समय के लिए अपने आप को मोबाइल, सोशल मीडिया और स्क्रीन से दूर करना, ताकि दिमाग को आराम मिल सके।
क्यों जरूरी है ये?
क्योंकि हम comparison से थक गए हैं
क्योंकि likes से कभी सच्चा प्यार नहीं मिलता
क्योंकि फोन की बैटरी जितनी बार चार्ज करते हैं, मन की कभी नहीं करते
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कैसे करें शुरुआत?
सुबह उठते ही 30 मिनट फोन ना देखें
हर दिन कम से कम 1 घंटा "फोन फ्री टाइम" रखें
हफ्ते में एक दिन सोशल मीडिया ब्रेक लें
जर्नलिंग, ध्यान या सैर की आदत डालें
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अंत में:
शांति कोई luxury नहीं है — ये ज़रूरत है।
और उसे पाने के लिए बाहर नहीं, अपने भीतर उतरना पड़ेगा।
आज एक सवाल खुद से पूछिए — मैं अपने मन के लिए क्या कर रहा/रही हूं?
Akdam sahi bat kahi aapne bilkul hme Santi apne me hi khojni he dusrome nahi...very good your blogs
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